अन्जान मै माया बस्नुनी भुल रहेछ बिहान फक्रि साँझ झर्नेनी फुल रहेछ कसैको सम्झनामा आशु झारी बस्दा बल्ल थाह भो यिदुई आखा मुल रहेछ
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