मंगलवार, 26 जनवरी 2016

१३७

आखाँ बाट आशुं को, बर्षात भयो
दैवको पनि मै माथि पक्षेपाता भयो
बिस्वास र भरोसा थियो जस माथि
उसै बाट आज  बिस्वास घात भयो

थाहाँ  पाउने छौ कस्तो घात हुनेछ
नगर कसै माथि बिस्वास र भरोसा
बिस्वास बाटै त बिस्वास घात हुनेछ

एक दिन हम आपसे इतना दूर हो जाएंगे कि,
आसमां के इन तारों में कहीं खो जाएंगे,
आज मेरी परवाह नहीं आपको पर देखना,
एक दिन हद से ज्यादा हम याद आएंगे !!


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